चिटफंड कंपनियों ने करोड़ों ठगे, पीड़ितों को मिल रहा सिर्फ आश्वासन
इंदौर । चिटफंड कंपनियों और क्रेडिट को-ऑपरेटिव संस्थाओं ने निवेश का लालच देकर कई लोगों से करोड़ों रुपए ठग लिए, लेकिन पुलिस-प्रशासन से शिकायतों के बाद भी पीड़ितों को सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। पीड़ितों में कोई सात साल से तो कोई पांच साल से परेशान है।
जिला प्रशासन की विशेष जनसुनवाई में ऐसी सैकड़ों शिकायतें आईं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से कुछ कंपनियों के डायरेक्टर और कर्ताधर्ता ठिकाने बदलकर शहर में ही घूम रहे हैं, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है। इनमें बीएनपी रियल एस्टेट, अन्नपूर्णा, गुरुसाईं रियल एस्टेट कंपनियां और संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी शामिल हैं। कलेक्टर कार्यालय के कक्ष क्रमांक-108 में कलेक्टर लोकेश जाटव, अपर कलेक्टर दिनेश जैन ने पीड़ितों की शिकायतें सुनकर दस्तावेज लिए। इस दौरान उपायुक्त सहकारिता एमएल गजभिये और जिला अल्प बचत अधिकारी हेमा मिश्रा भी मौजूद थीं।
पैसा जमा किया, अब दो साल से घूम रहे
हमने बचत करके बीएनपी रियल एस्टेट में पैसा जमा किया। तब कहा गया था कि पांच साल में दोगुना रुपया लौटाएंगे। हमने एजेंटों के जरिए पैसा जमा कराया। कंपनी के लोग पैसा लेकर भाग गए और दो-तीन साल से सरकारी दफ्तरों में शिकायत लेकर घूम रहे हैं। यह कहना था भावना थोरात, सुनीता कुशवाह, सुमन शर्मा और सुमित्रा वर्मा का। किसी ने 35 तो किसी ने 40 लाख रुपए तक जमा कराए हैं। विनय मंडलोई, शांतिबाई, मनोरमा राठौड़ सहित अन्य सदस्यों ने गुरुसाईं रियल एस्टेट कंपनी की शिकायत की। कंपनी के खिलाफ 2011 से ईओडब्ल्यू में भी केस दर्ज है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पीड़ित सदस्यों ने संजीवनी के प्रबंधक को घेरा
सहकारिता विभाग में पंजीकृत संभागस्तरीय संस्था संजीवनी सहकारी साख संस्था के भी कई पीड़ित सदस्य पहुंचे। यहां संस्था की पलासिया शाखा के प्रबंधक केसी गोयल भी आए थे। पीड़ित सदस्यों ने उन्हें घेरा और कहा कि आपके कारण हमने पैसा जमा किया था और संस्था के कर्ताधर्ता फरार हो गए। गोयल ने कहा कि उन्होंने खुद के परिवार के लोगों का पैसा भी जमा किया था, नुकसान तो उन्हें भी हुआ है। वे भी शिकायत करने आए हैं। पीड़ित सदस्य राजेंद्रसिंह धाकड़, शिवाजी भगत ने कहा कि हमने लाखों रुपए संजीवनी संस्था में जमा किए हैं। शिकायत होने को करीब छह महीने हो चुके हैं, लेकिन सहकारिता विभाग ने अब तक जांच पूरी नहीं की। रामकुंवरबाई और रेखाबाई ने 25-25 हजार तो ज्योति निमनपुरे ने 30 हजार रुपए जमा कराए थे। उन्होंने बताया कि संस्था का दफ्तर बंद होने से मेहनत की कमाई डूब गई। महिला सदस्यों ने संस्था के एजेंट राकेश खोटे के साथ विशेष जनसुनवाई में शिकायत की।