ग्वालियर के पुरातत्व अधिकारी ने लिया जायजा, 300 साल पुरानी है संरचना लेकिन महल या घुड़साल नहीं
भिंड। पार्क के लिए खुदाई के दौरान जमीन के अंदर मिली वास्तु संरचना 300 साल पुरानी है। मंगलवार को ग्वालियर से पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर गोविंद बाथम ने जायजा लिया है। उन्होंने का कि यह संरचना जाट राजाओं के समय की है, लेकिन यह महल या घुड़साल नहीं रही होगी। क्यूरेटर का कहना है कि इस संरचना में गोहद के नाले जोड़ दिए गए हैं। वर्तमान में संरचना में काफी गंदा पानी भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि वे ग्वालियर पहुंचकर इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर विभाग को देंगे। इसके बाद इस संरचना के संरक्षण को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
ट्रॉली के वजन से पटिया टूटी तब दिखी संरचनाः
यहां बता दें, सोमवार को नगरपालिका कार्यालय के सामने खाली मैदान पर पार्क बनाने के लिए खुदाई का काम किया जा रहा था। जेसीबी मैदान की मिट्टी की ऊपरी परत खोदकर जमीन समतल कर रही थी। ट्रैक्टर-ट्रॉली से बड़े पत्थरों को ढोया जा रहा था। अचानक से पटिया टूटने से ट्रॉली जमीन के अंदर जा धंसी। आसपास के लोग पहुंचे तो देखा कि ट्रॉली जिस स्थान पर जमीन में धंसी, उस बड़े हिस्से को पत्थर की पटियों से ढंका गया था। जमीन के अंदर जाट राजाओं की वास्तु संरचना नजर आई। इसको लेकर गोहद में सोमवार को कई तरह की चर्चाएं रही, किसी ने संरचना को जाट राजा भीम सिंह राणा के मंत्री का महल बताया तो किसी ने राजा की घुड़साल होने का अंदाजा लगाया। किसी को कहते सुना गया कि जाट राजा का खजाना इसी संरचना में सुरक्षति रखा जाता था। मंगलवार को ग्वालियर से पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर गोविंद बाथम ने मुआयना किया तो पाया कि संरचना ऐतिहासिक है, लेकिन यह संरचना महल या घुड़साल नहीं है।
3 तरफ बरामदा, बीच में एक कमराः
क्यूरेटर गोविंद बाथम ने नईदुनिया को खास बातचीत में बताया कि गोहद में जो संरचना मिली है, उसमें तीन ओर बरामदा है। बीच में कमरा है। श्री बाथम ने कहा कि इस संरचना के ऊपर भी संरचना रही थी, जिसे कालांतर में तोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि संरचना में जाने के लिए ऊपर जीने के चिन्ह भी नजर आ रहे हैं। जीने को भी पत्थर से ढांक दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संरचना के नीचे भी कोई संरचना नहीं है। सिर्फ इसके ऊपर एक संरचना रही है, जो कालांतर में तोड़ दी गई है। इसकी अवशेष यहां अब भी नजर आते हैं।
मैंने आज गोहद में जमीन के अंदर मिली संरचना का मुआयना किया है। संरचना जाट राजाओं के समय की है, लेकिन यह महल या घुड़साल तो नहीं रही होगी। इसके ऊपर भी संरचना रही है। इसके अवशेष मिले हैं। हम पूरी रिपोर्ट बनाकर विभाग से मार्गदर्शन लेंगे।
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