इंदौर की तरह पूरे प्रदेश में बचाएंगे बेटी
इंदौर / इंदौर में पीसीपीएनडीटी विभाग में बेटी बचाओ अभियान के तहत हुए कामों को प्रदेश स्तर पर भी लागू करने की तैयारी चल रही है। इंदौर में सोनोग्राफी सेंटरों पर एक्टिव ट्रैकर डिवाइस से निगरानी रखी जा रही है, वहीं 165 शासकीय व प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव की जानकारी मंगाई जा रही है। 2013 से शुरू हुए इस काम के परिणाम 2019 में बेटियों की बढ़ती संख्या के रूप में सामने आए हैं। जिले में 2013 में जन्म के समय लिंगानुपात 871 था, वहीं 2019 में यह 943 हो चुका है। वहीं, 2013 में गर्भवतियों के पंजीयन की संख्या 154981 थी जो बढ़कर 2019 में 3,08,580 हो चुकी है।
हाल ही में प्रदेश एडवाइजरी कमेटी की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने इंदौर पैटर्न के कार्य की जानकारी मांगी है, ताकि इसे प्रदेश स्तर पर लागू कराने पर विचार किया जा सके। दो मार्च को ही महाराष्ट्र विधानसभा में भी इंदौर पैटर्न लागू करने को लेकर प्रश्न उठाया गया। इसके बाद इंदौर कार्यालय से महाराष्ट्र सरकार को यहां हुए क्रियान्वयन की जानकारी दी गई है। सोनोग्राफी सेंटरों पर नजर रखने व अस्पतालों में भ्रूण परीक्षण व भ्रूण हत्या रोकने के लिए 2007 में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के तहत सेल की स्थापना की गई। इसमें निगरानी का कार्य कलेक्टर को सौंपा गया। इसके बाद भ्रूण हत्या रोकने के लिए कई काम किए गए।
इंदौर जिले में हुए कार्य
-2011 में तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने सोनोग्राफी के लिए आने वाली महिलाओं के लिए पहचान पत्र लाना अनिवार्य किया।
-2013 में राज्य योजना आयोग की नवाचार योजना के तहत अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीनों पर एक्टिव ट्रैकर डिवाइस लगाए गए ताकि गिरते शिशु लिंगानुपात को रोका जा सके।
-2013 के बाद से पूरे सेंटरों पर नजर रखी जाने लगी है जिसके कारण सोनोग्राफी कराने वाली महिलाएं, जन्म लिए हुए बालक-बालिका, स्टील बर्थ सहित गर्भपात की जानकारी भी मिल रही है। इंदौर व ग्वालियर में यह काम किया जा रहा है।
-2015 में तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि ने चिकित्सकीय गर्भपात अधिनियम का क्रियान्वयन कराया।ॉ
-2016 में गर्भसमापन का उल्लंघन करने पर नौ एमटीपी केंद्रों का पंजीयन निरस्त किया गया। वहीं कारणों सहित इसका डेटा भी रखा जाने लगा है।
इस तरह काम करती है डिवाइस
2013 में योजना के तहत सेल ने 318 सोनोग्राफी मशीनों पर एक्टिव ट्रैकर डिवाइस लगाए। इन डिवाइस को सेल के अधिकारियों के मोबाइल से जोड़ा गया। जब सेंटर या अस्पताल में सोनोग्राफी होती है तो इस डिवाइस में रिकॉर्डिंग होती है। सेंटर में होने वाली सोनोग्राफी की संख्या डिवाइस के माध्यम से सेल के अधिकारियों तक पहुंचती है जिसका मिलान किया जाता है। तय समय के अलावा सेंटरों पर मशीन चालू की जाती है तो इस स्थिति में भी अलर्ट बताते हुए मैसेज पहुंच जाता है।
हर माह नियमित लिया जा रहा है रिकॉर्ड
2013 में डिवाइस लगाने के बाद से अस्पताल व सोनोग्राफी सेंटरों का डेटा ऑनलाइन रखा जाने लगा। हर माह यह पूरी जानकारी सेल अस्पतालों से लेकर इसकी पुष्टि भी करती है। सोनोग्राफी कराने वाली महिलाओं की सही संख्या, डिलिवरी के लिए आई महिलाएं, नवजात बालक व बालिकाओं का जन्म, स्टील बर्थ व लिंगानुपात की जानकारी का रिकॉर्ड भी हर माह नियमित लिया जा रहा है। सेल के माध्यम से भ्रूण लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या रोकने काम किया जा रहा है ताकि जन्म लिंगानुपात व शिशु लिंगानुपात को बराबर रखा जा सके। इसके साथ ही सोनोग्राफी सेंटरों पर नजर रखी जा रही है। लोगों को भी बालिका बचाओ अभियान के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
2011 की जनगणना में ये बातें आईं सामने
जन्म के समय लिंगानुपात 952 या इससे अधिक होना चाहिए। जबकि 2011 की जनगणना में सामने आया कि प्रति एक हजार शिशुओं में 904 बालिकाएं ही जन्म ले रही हैं। इसके पीछे मुख्य कारण गर्भ में ही भू्रण की लिंग जांच व लिंग आधारित गर्भपात कराना पाया गया। 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश के शिशु लिंगानुपात 918 था। ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, श्योपुर, भिंड, दतिया, मुरैना, इंदौर, सीहोर, सतना, नरसिंहपुर, रीवा, छतरपुर, सीधी, पन्ना व टीकमगढ़ में यह अनुपात 918 से भी कम पाया गया था। अब 2021की जनगणना के बाद सही स्थिति पता चलेगी।
हर जिले में नहीं रखी जा रही निगरानी
पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत हर जिले में निगरानी रखने में कई दिक्कतें सामने आई हैं। जिलों में सोनोग्राफी सेंटर व अस्पतालों पर नजर रखने का कोई एक्टिव सिस्टम नहीं है। दूरदराज के कस्बों में सोनोग्राफी सेंटर इंटरनेट से कनेक्ट नहीं हो पाते जिससे डिवाइस लगाने में भी दिक्कत आती है। निगरानी के लिए समितियों का गठन भी नहीं हुआ। जहां गठन हुआ, वहां नियमित बैठकें सालों से नहीं हुई। 2017 के बाद हाल ही में इंदौर में राज्यस्तरीय सुपरवाइजरी कमेटी की बैठक हुई थी।
अस्पतालों में हुए प्रसव
वर्ष प्रसव बालक बालिका स्टील बर्थ(मृत शिुशु) लिंगानुपात
2018 60060 30947 28866 247 933
2019 65229 33130 31247 852 943
आईवीएफ सेंटरों की स्थिति
वर्ष प्रसव बालक बालिका
2019 1743 865 878