इंटर्नशिप में रहें गंभीर तो नौकरी की राह होगी आसान

इंटर्नशिप में रहें गंभीर तो नौकरी की राह होगी आसान


इंदौर । छात्र जीवन और नौकरी में बहुत अंतर होता है। इसलिए हमें जितनी जल्दी हो सके नए किरदार में खुद को ढाल लेना चाहिए। छात्र जीवन काफी मजेदार होता है और इसके लक्ष्य अलग होते हैं। पर, जब नौकरी में आना हो तो पहले कंपनी और उसके उत्पादों तथा बाजार को जानें। कंपनी की वेबसाइट और इंडस्ट्री जर्नल्स के माध्यम से जितना हो सके जानकारी जुटाएं। यह बात इंटरनेशनल ट्रेड सेंट के कंसल्टेंट सुशील दुबे ने 'इफेक्टिव लर्निंग ड्यूरिंग इंटर्नशिप' विषय पर कही। मंगलवार को इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन के स्टूडेंट चैप्टर द्वारा शहर के एक निजी इंस्टीट्यूट में 'इफेक्टिव लर्निंग ड्यूरिंग इंटर्नशिप' विषय पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कार्यक्रम आयोजित किया।


इस मौके पर इंटरनेशनल ट्रेड सेंट के कंसल्टेंट सुशील दुबे और बिजनेस कोच एवं कंसल्टेंट जितेश मनवानी ने विचार व्यक्त किए। सुशील दुबे ने इंटर्नशिप के दौरान कैसे अपनी समझ को बढ़ाएं विषय पर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि एचआर या प्रशिक्षण विभाग को ध्यान से सुनें और कंपनी की संरचना, संचालन, नीतियों, बाजार और उपलब्धियों की जानकारी हासिल करें। उत्पाद या सेवा अथवा संचालन, योजना का निर्माण, मार्केटिंग, वित्त और मानस संसाधन जैसे विषयों को समझने का प्रयास करें। फिर आपको कंपनी या उसके उत्पाद के बारे में बोलने में सक्षम होना चाहिए।


 

उन्होंने कहा कि संभव हो तो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर (एसओपी) या स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग मैन्यूअल (एसओएम) की भी जानकारी प्राप्त करें। इस दस्तावेज को अधिकाधिक सूचनाओं के साथ तैयार करें। विभाग में प्रबंधन या सुपरवाइजर के रूप में खुद को उपयोगी साबित करें।


सुशील दुबे ने छात्रों को इंटर्नशिप के दौरान गंभीर होने की सीख दी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा मौका दुबारा नहीं मिलता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा समय प्रक्रिया को समझने एवं अपना काम खत्म करने पर दें। जब आप लक्ष्य हासिल कर लेंगे तो उसके बाद खुशी मिलती है।


 

इस सत्र में जितेश मानवानी ने अपने संबोधन में पहले उपस्थित लोगों से सवाल किया कि क्या आपने कभी अपने कॅरियर को लेकर लोगों को असमंजस की स्थिति में जाते देखा है कि कौन से अवसर को हां कहें और कौन से को ना? जितेश ने कहा कि लंबे समय से हमें सिखाया जाता रहा है कि ऐसे कॅरियर का चुनाव करो, जिसमें आमदनी अच्छी हो। हमारे दिमाग में धन की चाहत होती है, लेकिन दिल कहता है कि नहीं, मैं अपनी रूचि के किसी क्षेत्र में काम करूंगा। दरअसल, हम सभी अपने-अपने व्यक्तित्व से अनभिज्ञ होते हैं और जिस कंपनी में भी भर्ती निकलती है, उसमें आवेदन कर देते हैं। उसके बाद हमें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल जाती है और तीन महीने की सुकून भरी नौकरी के बाद बॉस शैतान जैसा व्यवहार करने लगता है। तब हमें जीवन का सही अर्थ मालूम पड़ता है और उसके बाद हम उस नौकरी को छोड़कर फिर से दूसरी नौकरी करने लगते हैं और वहां भी तीन महीने के बाद शैतान जैसे बॉस से हमारा पाला पड़ जाता है।


सत्र की मुख्य बातें:


छात्रों को कंपनी में दो बातें देखनी चाहिए, स्पष्ट लक्ष्य और ठोस मूल्य।


कर दे मुश्किल जीना, इंटर्नशिप का तीन महीना।


कंपनी आपकी क्षमता की ओर देखती है। आपको अपनी पसंद देखनी चाहिए।


प्रतिभा कुछ नहीं है, बल्कि क्षमता और रूचि का मिश्रण है।