कृतियों से दर्शाई अभ्यास और सृजनात्मकता की दक्षता

कृतियों से दर्शाई अभ्यास और सृजनात्मकता की दक्षता


इंदौर । कला प्रदर्शनी के मायने हरेक के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। वरिष्ठ कलाकार के लिए अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन आने वाली पौध को प्रेरित करने का हो सकता है पर भावी पीढ़ी के कलाकारों का अपनी रचनात्मकता को प्रदर्शित करना उनके मूल्यांकन का भी हिस्सा होता है। कला प्रदर्शनी वास्तव में एक आईना होती है जो कलाकार की रचनात्मकता, अभ्यास और दक्षता को दर्शाती है। यही बात एक निजी कॉलेज में लगी कला प्रदर्शनी में नजर आई। जहां फाइन आर्ट कर रहे विद्यार्थियों ने वर्षभर में किए गए कार्यों और प्रयासों को अपनी कलाकृतियों के माध्यम से सभी के सामने रखा।


प्रदर्शनी में प्रदर्शित काशी पिंजारे की कृति को देख कोई भी सहज रूप से यह बता सकता है कि कलाकार ने ग्रामीण परिवेश को कितने करीब से देखा है और स्केचिंग का अभ्यास कितना परिपक्व है। गायों की स्केचिंग को कंपोज करते हुए ग्रामीण दृश्य अंकित किया है। स्केचिंग में स्ट्रोक का फोर्स और सटीक अंकन दिखाई देता है। कृति में ब्रश की मदद से टेक्सचर भी बहुत करीने से दिए गए हैं। काशी की कृति में स्केचिंग की कुशलता है तो मयंक यादव की पेंटिंग में कलर मिक्सिंग और लाइट एंड शेड्स का नपा तुला समीकरण। कैनवास पर एक्रेलिक कलर से की गई पेंटिंग में बारीकियां भी है तो बोल्डनेस भी। करिश्मा हार्डिया अमूमन नारी आकृतियों पर ही काम करती है और यहां भी उसी का अक्स दिखा। फिमेल फेसेस को कंपोज करते हुए इन्होंने भी ब्रश से जिस तरह की डेकोरेटिव डिजाइन बनाई वह टेक्सचर का आभास भी कराती है। कलाकार अपनी ही शैली विकसित करने पर इन दिनों प्रयासरत है जो अमूमन हर कृति में नजर आता भी है। करिश्मा की तरह ऑइल कलर को चुनते हुए मोहित जांगिड़ ने भी पेंटिंग्स बनाई है। यूं तो मयंक ने जॉमेट्रिकल फॉर्म्स लिए हैं पर ये फॉर्म्स आंखों को सुकून देते हैं। इसकी वजह रंगों का खूबसूरती से किया गया इस्तेमाल है। रंग संयोजन, उनकी मिक्सिंग और उन्हें लगाने में फिनिशिंग की बात को ध्यान रखना पेंटिंग को आकर्षक बनाता है।


 

115 विद्यार्थियों का आर्ट वर्क प्रदर्शित


115 विद्यार्थियों के आर्ट वर्क से सजी इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने विषयों की विविधता के साथ फॉर्म्स और मीडियम की विविधता पर भी ध्यान दिया है। वैशाली चांदे ने दैनिक जीवन के विषयों को चित्रित करते हुए पेंटिंग बनाई है। मानवीय संवेदनाओं को इन्होंने बच्चा और गुड़िया बनाती महिला वाली पेंटिंग से दर्शाया है। प्रीति पाटीदार ने श्रृंगार रस को चुनते हुए राधा-कृष्ण की पेंटिंग बनाई है। डेकोरेटिव फॉर्म वाली यह पेंटिंग ह्यूमन एनाटॉमी शैली के मान से बेहतर है। लोक कलाओं के अंश भी यहां नजर आते हैं पर वे एक नवीन परिभाषा के साथ हैं। अदिति अग्रवाल ने लोक कला शैली से प्रेरणा लेते हुए पेंटिंग बनाई है। देवांशी राठौर ने भावपूर्ण चेहरों और श्रिया विजयवर्गीय ने प्रकृति का सौंदर्य कैनवास पर उतारने का प्रयास किया है। प्रदर्शनी में भावना बरबड़े, गुंजन भारुका, सोनाली बापट, अश्विनी भोंडवे, आशी पाठक की कृतियां भी सराही गई। आयोजन में अतिथि मीरा गुप्ता ने शिवानी पाटीदार को श्रेष्ठ कार्य के लिए पुरस्कृत भी किया। संस्थान के निदेशक अमित गंजू के अनुसार तीन दिनी इस प्रदर्शनी को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक देखा जा सकता है।