लक्षण देख उपचार करा लें तो बच सकते हैं एप्लास्टिक एनिमिया से : डॉ. द्विवेदी

लक्षण देख उपचार करा लें तो बच सकते हैं एप्लास्टिक एनिमिया से : डॉ. द्विवेदी


इंदौर । एप्लास्टिक एनिमिया रोग जन्म के बाद होता है। लक्षण दिखने के बाद उपचार कराया जाए तो इसे होने से रोका जा सकता है। एप्लास्टिक एनिमिया कैंसर से भी भयावह बीमारी है, क्योंकि इसमें रोगी को बार-बार रक्त की आवश्यकता होती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए इसे ठीक किया जाता है, लेकिन यह बहुत महंगा उपचार साबित होता है जो हर किसी के लिए संभव नहीं है।


यह बात डॉ. एके द्विवेदी ने आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा आयोजित निशुल्क एप्लास्टिक एनिमिया जागरूकता सेमिनार में मंगलवार को कही। बर्फानी धाम के सामने सभागृह में हुए इस सेमिनार का उद्घाटन कलेक्टर लोकेश जाटव ने किया। सेमिनार में एक संस्था बनाने की घोषणा भी की गई जिसके माध्यम से इलाज के लिए राशि नहीं होने पर ऐसे मरीजों की मदद की जाएगी। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि दांतों या मसूढ़ों से लगातार खून निकलना, लंबे समय तक मासिक धर्म की समस्या से ग्रस्त रहना और पाइल्स की वजह से भी यह बीमारी हो सकती है। कई लोग बुखार, जोड़ों में दर्द या त्वचा की समस्या की दवाई खुद ही लंबे समय तक लेते रहते हैं। ऐसे में उन्हें भी एप्लास्टिक एनिमिया होने की आशंका अधिक रहती है।


 

खाने के बाद चाय-कॉफी से करें परहेज


एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बायोकेमिस्ट्री विभाग की प्रोफेसर डॉ. संगीता पानेरी ने कहा कि एनिमिया से बचने के लिए हमें उचित खानपान पर ध्यान देना चाहिए। भोजन में प्रोटीन, विटामिन, आयरन की भरपूर मात्रा होना चाहिए। गुड़, अनार आदि से आयरन की पूर्ति होती है तो मूंगफली, दालें, बादाम, मछली से प्रोटीन मिलता है। आयरन-प्रोटीन के साथ विटामिन सी लेना भी जरूरी है जो आंवला और नीबू से मिलता है। अकसर लोग खाना खाने के तुरंत बाद चाय या कॉफी पीते हैं इससे भोजन में लिए गए सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यदि हमारे शरीर में हिमोग्लोबीन चार ग्राम से कम है तो वह सीवियर एनिमिया है।


 

अभियान को जन अभियान बनाने की जरूरत


कलेक्टर लोकेश जाटव ने कहा कि जब हम शरीर और मन से स्वस्थ होते हैं तो कई बार यह अहसास नहीं कर पाते। जो व्यक्ति किन्हीं कारणों से स्वस्थ नहीं होते, हम उन्हें समझ नहीं पाते और उनके प्रति हमारा स्वभाव रूखा होता है। इस आयोजन से युवा यह संदेश लेकर जाएंगे कि जब वे सक्षम बनें तो असहाय लोगों की कैसे सहायता करें। इस अभियान को जनअभियान बनाने के लिए प्रशासनिक तौर पर जो भी सहयोग की आवश्यकता होगी, हम देंगे।