फाइल में 20 हजार रुपए रखते ही पकड़ा गया पीसीपीएनडीटी का नोडल अधिकारी

फाइल में 20 हजार रुपए रखते ही पकड़ा गया पीसीपीएनडीटी का नोडल अधिकारी


इंदौर । लोकायुक्त पुलिस ने पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी को मंगलवार दोपहर 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा। आरोपित राजवाड़ा क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल की भूण परीक्षण को लेकर हुई शिकायत रफा-दफा करने के नाम पर 30 हजार रुपए मांग रहा था। जैसे ही उसने अस्पताल के कर्मचारी से लिए 20 हजार रुपए फाइल में दबाए, लोकायुक्त की टीम ने उसे धरदबोचा।


पीसीपीएनडीटी में नोडल अधिकारी सतीश जोशी ने राजवाड़ा क्षेत्र स्थित अर्पण नर्सिंग होम में काम देख रहे सुनील शुक्ला को फोन कर बताया था कि उक्त नर्सिंग होम भ्रूण लिंग परीक्षण की शिकायत मिली है। अस्पताल और महिला डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते हो तो 30 हजार रुपए लगेंगे। बाद में जोशी 20 हजार रुपए लेने को तैयार हो गया। लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण बघेल ने बताया कि फरियादी ने मंगलवार सुबह ही इस संबंध में लोकायुक्त पुलिस में शिकायत की थी। वाइस रिकॉर्डिंग से भी रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि हुई। मंगलवार दोपहर टीम ने कलेक्टर कार्यालय परिसर में जाल बिछाया। फरियादी आरोपित से मिलने उसके दफ्तर पहुंचा तो उसने उससे बाहर बात करने का कहा। फिर वह फरियादी के साथ परिसर में खड़ी अपनी कार तक आया। यहां लोकायुक्त की टीम ने उसे रिश्वत लेते पकड़ लिया। आरोपित के हाथ धुलाते ही गुलाबी हो गए। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्रवाई की गई।


 

कलेक्टर कोई भी रहे, नोडल अधिकारी जोशी ही होता था


सतीश जोशी मलेरिया विभाग में जूनियर मलेरिया निरीक्षक के पद पर पदस्थ था। 2006 के आसपास विवादों के बाद उसने अपना अटैचमेंट कलेक्टर कार्यालय में करवा लिया और यहां पीसीपीएनडीटी विभाग में काम करने लगा। धीरे-धीरे वहीं पीसीपीएनडीटी का सर्वेसर्वा बन गया। 2013-14 में सेवानिवृत्त होने के बावजूद वह नोडल अधिकारी बना रहा। इतने सालों में कई कलेक्टर आए और गए लेकिन पीसीपीएनडीटी का नोडल अधिकारी नहीं बदला। उसके पास अस्पतालों की जांच सहित कई महत्वपूर्ण अधिकार भी थे।


 

अस्पताल का लेना-देना नहीं


सुनील शुक्ला हमारे अस्पताल में नहीं बल्कि मेडिकल स्टोर पर काम करता है। मामला सतीश जोशी और सुनील शुक्ला के बीच का है। इस मामले से हमारे अस्पताल का कोई लेना-देना नहीं है। हमारी कोई शिकायत लंबित नहीं है।


डॉ. सुनंदा जैन, संचालक, अर्पण नर्सिंग होम