सीलिंग की भूमि पर काबिज साउथ एवेन्यू कॉलोनी के रहवासियों को मिलेगा मालिकाना हक
इंदौर । शहर के अन्नपूर्णा क्षेत्र में शहरी सीलिंग की भूमि पर काबिज साउथ एवेन्यू कॉलोनी के रहवासियों को राज्य शासन ने बड़ी राहत दी है। यहां रह रहे परिवार गाइडलाइन के हिसाब से तय किए गए 20 साल पुराने बकाया राजस्व टैक्स पर 12 से 15 फीसदी की दर से ब्याज देकर इस जमीन का मालिकाना हक हासिल कर सकेंगे। इस बारे में कैबिनेट में फैसला ले लिया गया है। इससे कॉलोनी के 126 परिवार लाभान्वित होंगे।
वर्ष 2000 को आधार बनाकर लिए गए कैबिनेट के फैसले के मुताबिक तय राजस्व टैक्स पर पहले साल यानी वर्ष 2000 के लिए 12 फीसदी और उसके बाद के सालों के लिए 15 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा। ऐसे परिवारों को राशि जमा करने के लिए एक साल का समय दिया गया है। राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के मुताबिक इस अवधि में कब्जाधारी द्वारा राशि जमा नहीं कराने पर बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही बढ़ाई गई समयावधि के लिए कब्जा हटाने की तारीख तक अतिक्रामक से जुर्माना व किराया वसूल किया जाएगा। वर्तमान में सिर्फ आवासीय प्रकरणों में ही इस तरह का पट्टा देने की कार्रवाई की जाएगी। वाणिज्यिक उपयोग में लाई जा रही जमीन के संबंध में बाद में कार्रवाई की जाएगी।
यह है मामला :
सीलिंग एक्ट खत्म होने के बाद से चल रही जद्दोजहद
मध्यप्रदेश में शहरी सीलिंग एक्ट वर्ष 1976 में लाया गया था। तब तय हुआ था कि जिन लोगों के पास निर्धारित सीमा से अधिक जमीन है, वह शासन में वैष्ठित (दर्ज) हो जाएगी। इसी के तहत साउथ एवेन्यू की जमीन भी शासन में वैष्ठित हो चुकी थी, लेकिन वर्ष 2000 में यह एक्ट वापस ले लिया गया। इस दौरान जमीन पर अवैध कॉलोनी विकसित हो गई। एक्ट समाप्त होने के समय राज्य शासन ने निर्देश जारी किए थे कि सीलिंग की जमीन पर अवैध कॉलोनी में काबिज लोगों से संपत्ति की शासकीय गाइडलाइन के हिसाब से भू-भाटक और प्रब्याजी वसूल कर उन्हें नियमित कर दिया जाए। साउथ एवेन्यू कॉलोनी में कुछ लोगों ने यह राशि जमा की और कुछ ने नहीं की। कुछ ने आधी-अधूरी राशि ही जमा की थी। कुछ लोगों को टैक्स ज्यादा लग रहा था, इसलिए उन्होंने शासन स्तर पर इसकी आपत्ति ली। शासन के निर्देश अस्पष्ट होने से जिला प्रशासन इनके बारे में कोई निर्णय नहीं ले पा रहा था। यह मामला लंबे समय से चला आ रहा था। कलेक्टर लोकेश जाटव ने बताया कि इस मामले में हाल ही में हमने शासन से मार्गदर्शन मांगा था। यह फैसला उसी परिप्रेक्ष्य में आया होगा।