टाइगर को फिर से बसाने की तैयारी, तेंदुए की संख्या 55 के पार
शिवपुरी। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को प्रकृति और पुरातत्व का वैभव कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि यह पार्क अपने आप में अनूठा है। प्रकृति सहित अपने आप में पुरातत्व महत्व की इमारतों को भी सहेजे हैं। माधव नेशनल पार्क में झील झरनों के अलावा वन्य प्राणी तो हैं ही, साथ ही पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियां भी मौजूद हैं। कुछ पक्षी तो ऐसे हैं, जो देश के दूसरे हिस्सों में नहीं मिलते। यह यूरोप से शिवपुरी सर्दियों के दिनों में आते हैं। करैरा की दिहायला झील में भी साइबेरियन पक्षी खासतौर पर देखने को मिलता है। यह अपनी तरह का अकेला पक्षी है, जो शिवपुरी में मौजूद है।
कई वन्य जीव शिवपुरी के जंगल में मौजूद हैं, जिनमें से चिंकारा और काले हिरण अपेक्षाकृत दीगर स्थानों के शिवपुरी में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। चिंकारा मांसाहारी वन्य प्राणियों के लिए प्रिय भोजन है। वहीं अलग श्रेणी के काले हिरण भी शिवपुरी में ही देखने को मिलते है। शिवपुरी के नेशनल पार्क में टाइगर को एक बार फिर से बसाने की कवायद शुरू हो गई है।
30 से बढ़कर हुए 55 तेंदुए
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में एक समय 30 तेंदुए मौजूद थे, लेकिन ताजा गणना के बाद इनकी संख्या 55 को पार कर गई है। यह तेंदुए न सिर्फ पार्क बल्कि पार्क सीमा के बाहर भी मौजूद हैं। इनकी संख्या में कुछ कमी दुर्घटनाओं के फेर में भी हुई है। सड़क दुर्घटनाओं में 5 से अधिक तेंदुए मारे गए हैं।
एक समय थी टाइगर सफारी
स्व. माधवराव सिंधिया के प्रयासों से शिवपुरी के नेशनल पार्क में करीब तीन दशक पहले टायगर सफारी का निर्माण किया गया था। इसमें तारा और पेटू नामक टाइगर लाकर रखे गए। इनकी संख्या बढ़कर 10 तक जा पहुंची थी। पर्यटक इन्हें देखने के लिए दूर दूर से आते थे। एक समय तारा फेसिंग पार कर पार्क क्षेत्र में पहुंच गई। यहां एक महिला मजदूर पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद अज्ञात बीमारी के चलते कुछ टाइगर की मौत हुई तो बाकी के टायगर यहां से बाहर भेज दिए गए, तब से पार्क में टाइगर नहीं हैं, लेकिन इन्हें वापस लाने की तैयारी जोरों से की जा रही है।
यह पक्षी आते हैं यूरोप से
वैसे तो कई पक्षी चांदपाठा झील में देखे जाते हैं, लेकिन यूरोप से आने वाले पक्षियों में ब्लैक स्ट्रोक, रूडीशल डक, बारेहीडू, टेलीकन, टूट नामक पक्षी यूरोप से आते हैं। शिवपुरी की चांदपाठा झील में सर्दियां बिताते हैं। इसी तरह करैरा की दिहायला झील में साइबेरियन पक्षी भी मौजूद रहते हैं। यह अपनी श्रेणी का अलग साइबेरियन पक्षी जिले में मौजूद है।
इस तरह करते हैं प्रकृति को मदद
वन्य प्राणी किसी ने किसी रूप में प्रकृति के मददगार हैं। यह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। वनों के जानकार कहते हैं कि साइकिल चैन की तरह यह जंगल को व्यवस्थित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इनमें से कुछ की संख्या बीते सालों में कई गुना बढ़ गई है। कुछ की कम भी हुई है। देखा जाए तो चीतल हजारों की संख्या में शिवपुरी के जंगलों में मौजूद हैं। पहले इनकी संख्या कम हुआ करती थी। इसी तरह तेंदुआ 30 से 55 पार हो गए, लेकिन चिंकारा और काले हिरण सैकड़ों की संख्या में ही मौजूद हैं।
यह वन्य प्राणी पाए जाते हैं, पार्क में
पार्क में वनस्पति और जीव जंतु मुख्य रूप से हैं। वहीं सांभर, चीतल, चिंकारा, तेंदुआ, रीछ, नीलगाय, जंगली सूअर, चौसिंघा, लकड़बघ्घा, सियार, लोमड़ी, सल्लू सांप, अजगर मौजूद हैं। वहीं झील में विशालकाय मगरमच्छ सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं। 28 से ज्यादा तेंदुए और पक्षियों में सफेद स्तन वाले किंगफिशर, प्रवासी गीज ओरियोल, लाल वांटेड्, लैपविंग, बड़े चितकबरे बैगेटल, पोचार्ड, बैगिनी सनवर्ड, प्रिंटेड सफेद इबिस, कॉमरेंट, पेंट स्टॉक, लेगर फाल्गन आदि पक्षियों की प्रजाति भी देखने को मिलती है। बारिश के दिनों में अन्य नेशनल पार्क रास्ते खराब होने के चलते बंद हो जाते हैं, जबकि शिवपुरी का माधव राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए बारह महीने खुला रहता है।
प्राणी संग्रहालय भी है मौजूद
अन्य नेशनल पार्क में प्राणी संग्रहालय नहीं है, जबकि शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में स्थित जार्ज कैसल को प्राणी संग्रहालय बनाया गया है। यहां वन्य प्राणियों से संबंधित सारी जानकारी पर्यटकों को दी जाती है। चित्रों के माध्यम से विस्तापूर्वक यहां पर्यटकों को जानकारी दी जाती है।
यह बोले संचालक
माधव नेशनल पार्क में कई ऐसे पक्षी मौजूद हैं, जो यूरोप से आते हैं और चांदपाठा झील में मौजूद रहते हैं। इसी तरह करैरा के सोन चिरैया अभयारण्य की दिहायला झील में भी सायबेरियन पक्षी मौजूद हैं। यह अन्य जिलो में नहीं देखे जाते। नेशनल पार्क में दोबारा से टाइगर सफारी की स्थापना के प्रयास तेज कर दिए हैं। तेंदुओं की संख्या भी 55 के पार हो गई है।
मोहन मीणा, संचालक माधव राष्ट्रीय उद्यान।