त्वचा और बालों का ध्यान रखेंगे घर में बने हर्बल कलर
इंदौर। इस बार भी होली पर रंगों की बात होगी, मस्ती की बौछार होगी जिसमें कोई रंग से सराबोर होने तथा दूसरे को रंगने के लिए आतुर होगा तो कोई रंगों से बचने की तमाम कोशिशें करेगा। असल में बचाव की ये कोशिशें रंग की वजह से नहीं बल्कि रंगों में पाए जाने वाले हानिकारक तत्वों की वजह से होती है जो त्वचा, बाल को नुकसान पहुंचा देते हैं। कई बार तो केमिकलयुक्त रंगों से शरीर को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचता है कि लंबे समय तक डॉक्टर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। पर यदि ये रंग हमारे अपने द्वारा बनाए हुए हों तो फिर तो बचने की कोई जरूरत नहीं। इन प्राकृतिक रंगों से होली का मजा भी दोगुना हो जाएगा, क्योंकि इनसे पर्व की खुशियां तो व्यक्त होंगी ही, त्वचा भी खूबसूरत बन जाएगी।
पालक, चुकंदर, हल्दी, काले अंगूर, ब्लू बैरी सिर्फ खाने के लिए ही बेहतर नहीं हैं, बल्कि इनसे बने रंगों से होली भी खेली जा सकती है और वह भी पूरी तरह सुरक्षित। इसी तरह बगीचे की शोभा बढ़ाने वाले गुलाब, गेंदा, लाल-पीले गुड़हल, सूरजमुखी के फूल भी इस होली पर आपका साथ बखूबी दे सकते हैं। प्रकृति की इन खूबसूरत देन से रंग कैसे बनाएं यह जानकारी एक्सपर्ट रचना शर्मा जोशी ने नईदुनिया से साझा की। उन्होंने बताया कि घर में बनने वाले ये रंग दो या तीन दिन में ही इस्तेमाल कर लें।
हरा रंग : हरा रंग बनाने के लिए 250 ग्राम पालक डंडी सहित मिक्सर में पीस लें। इसे छानकर गाढ़े पेस्ट में एक चम्मच कॉर्नफ्लोर या अरारोठ पाउडर मिलाएं। इसे करीब 15 मिनट के लिए रख दें। इसे फिर मिक्सर में चला लें ताकि पालक का पेस्ट और पाउडर अच्छे से मिक्स हो जाए तथा पहले से भी ज्यादा महीन हो जाए। इसे छाया में सुखाकर रख लें और होली खेलें। यदि गीला हरा रंग चाहिए तो इसे छानने पर जो पानी निकला था उसका उपयोग करें।
सुर्ख लाल और गुलाबी : चुकंदर को मिक्सर में पीस कर उसमें कॉर्नफ्लोर या अरारोठ पाउडर मिलाएं। इसे करीब 15 मिनट के लिए रख दें और फिर मिक्सर में घुमा लें। इसे भी छाया में सुखा लें। अरारोठ या कॉर्नफ्लोर मिलाने से इसका रंग गुलाबी रहेगा। यदि सुर्ख लाल रंग चाहिए तो ये पाउडर नहीं मिलाएं। गीले रंग के रूप में इसका उपयोग करना है तो यह पाउडर पानी में घोल लें।
पीला रंग : पीला रंग हल्दी, पीले गुड़हल, गेंदा या सूरजमुखी के फूलों से पाया जा सकता है। गुड़हल के पीले फूलों या अन्य फूलों से रंग बनाना है तो इन फूलों को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। दूसरे दिन इन्हें मिक्सर में पीस लें। पीसे हुए फूलों में कॉर्नफ्लोर या अरारोठ का आटा मिलाकर 2-3 घंटों के लिए रख दें। एक बार फिर इसे मिक्सर में घुमा लें और मिश्रण को छाया में अच्छे से सुखा लें। हल्दी को यदि पीले रंग के लिए उपयोग में लाना है तो उसे पानी की मदद से पेस्ट बना लें और उसमें कॉर्नफ्लोर या अरारोठ का आटा मिला लें। इससे हल्दी का दरदरापन भी कम हो जाएगा।
नीला रंग : यह रंग काले अंगूर या ब्लू बैरी से भी बनाया जा सकता है। इन फलों को मिक्सर में पीसकर छान लें। गाढ़े भाग में अरारोठ या कॉर्नफ्लोर मिलाकर कुछ देर के लिए रख दें। इसके बाद दुबारा पीसकर सुखा लें और इससे होली खेलें।
हल्का गुलाबी : लाल देसी गुलाब की पत्तियों से हल्का गुलाबी रंग बनाया जा सकता है। गुलाब की पत्तियों को छाया में अच्छे से सुखा लें। ये पत्तियां एक दिन में ही सूख जाएंगी। इन्हें मिक्सर में पीस लें और कुछ भी मिलाए बगैर होली खेलें।
सिंदूरी : गुड़हल के लाल फूलों से सिंदूरी रंग बनाया जा सकता है। फूलों को रात भर पानी में भिगोकर दूसरे दिन मिक्सर में पीस लें। इसमें कॉर्नफ्लोर मिलाकर दो घंटे के लिए रख दें। इसके बाद इसे दुबारा मिक्सर में घुमा लें और छाया में सुखाकर होली खेलें।
सब्जी, फल और फूलों से बने रंगों को युद सुगंधित बनाना हो तो उसमें 1-2 बूंद खुशबूवाले फूड एसेंस डालकर मिला लें।
घर में बने रंगों के ये हैं फायदे
इन रंगों से त्वचा और बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
बाजार में मिलने वाले नेचुरल कलर की अपेक्षा ये सस्ते और शुद्ध होते हैं।
केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से पहले त्वचा की अतिरिक्त देखभाल करना पड़ती है जो कि इन रंगों से खेलने में जरूरी नहीं।
केमिकल युक्त पक्के रंगों को शरीर से निकालने के लिए कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना पड़ता है जबकि घर में बने हर्बल कलर केवल पानी से धोने से ही निकल जाते हैं।
चूंकि घर में बने हर्बल कलर से त्वचा और बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता इसलिए महंगे ट्रीटमेंट का खर्च भी बच जाता है।
घर में बने रंगों में अपनापन ज्यादा महसूस होता है।