युवा चलें स्वामीजी के दिखाए मार्ग पर, देश को मिलेगी तरक्की
ग्वालियर / स्वामी विवेकानंद योग निष्ठ होने के साथ त्याग एवं सादगी की प्रतिमूर्ति थे। स्वामी जी ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के आदर्शो को देश-विदेश में प्रचारित किया। स्वामीजी युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके मार्गदर्शन पर चलकर युवा देश की तरक्की में सहायक बन सकते हैं। यह कहना था भिलाई से आए समाजसेवी संजय करकरे का। वे सोमवार को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा विवेकानंद नीडम में चलाए जा रहे सात दिवसीय आवासीय शिविर में शामिल स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 'स्वामी विवेकानंद व्यक्तित्व एवं कृतित्व' विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता करकरे ने योग के संबंध में कहा कि योग मात्र प्राणायाम ही नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन पद्घति योग है। प्रेम और सदभाव पर उन्होंने कहा कि प्रेम ही धर्म का मूल है और जीव सेवा ही शिव सेवा है। इससे पूर्व सुबह के सत्र में स्वयंसेवकों को डॉ. शालिनी पांडे ध्यान व योग कराया। साथ ही मेडिटेशन के फायदों से अवगत कराया। इस मौके पर कार्यक्रम अधिकारी मनीष करवडे, सीपी भार्गव, नरेन्द्र वर्मा और अर्चना शर्मा उपस्थित थीं।
मंगलवार को सुबह डॉ. शालिनी पांडे द्वारा ध्यान योग कराया जाएगा। इसके बाद दोपहर 12 बजे बौद्घिक सत्र में बेटी है तो कल है की संचालक डॉ. वंदना शर्मा और पुलिस प्रशासनिक अधिकारी अनीता मिश्रा का नारी सशक्तिकरण विषय पर व्याख्यान होगा।